बुलन्दी
राह में अपमान कई सहने हैं अभी
और तुझको ख़्वाहिश है बुलन्दी छूने की
बेरहम दुनिया है ऊँचे ख़्वाब न देख
क्यों ज़िद ठानी है तूने मरने की
राह में अपमान कई सहने हैं अभी
और तुझको ख़्वाहिश है बुलन्दी छूने की
बेरहम दुनिया है ऊँचे ख़्वाब न देख
क्यों ज़िद ठानी है तूने मरने की