बुलंद हौसला
दौड़े तो हम भी इस कदर ,
पैरों में छाले पड़ गए
छलाँगे लगाई चट्टानों से ,
घुटने छिल गए
आकाश की तो छोड़ो दोस्तों !
ज़मी के भी लाले पड़ गए l
मंज़िल तो मिली नहीं ,
रास्तों में क़र्ज़ वाले मिल गए l
हौसला हमारा भी देखो !
हम पतली गली से ,
दुबक के निकल लिए l
उम्मीद का दामन छोड़ा नहीं ,
नई राह की तलाश में ,
दीवाने फिर बेबक निकल लिए l
मंज़िल का क्या हैं !
दोस्तों !
आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी ,
हौसले जो बुलंद है अपने l