Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Nov 2024 · 1 min read

बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।

बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
ज़मी की गोद में लेकिन हमेशा का बसर होगा।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

24 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

जज्बा जगाता गढ़िया
जज्बा जगाता गढ़िया
Dr. Kishan tandon kranti
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
मोक्ष पाने के लिए नौकरी जरुरी
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उरवासी
उरवासी
Rambali Mishra
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विवेकवान मशीन
विवेकवान मशीन
Sandeep Pande
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
24--- 🌸 कोहरे में चाँद 🌸
24--- 🌸 कोहरे में चाँद 🌸
Mahima shukla
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
कृष्ण जी के जन्म का वर्णन
Ram Krishan Rastogi
पंखुड़ी गुलाब की
पंखुड़ी गुलाब की
Girija Arora
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ആരും കാത്തിരിക്കാ
ആരും കാത്തിരിക്കാ
Heera S
खुद को मीरा कहूँ
खुद को मीरा कहूँ
Dr Archana Gupta
बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
बहराइच की घटना पर मिली प्रतिक्रियाओं से लग रहा है कि लोहिया
गुमनाम 'बाबा'
*आत्म-मंथन*
*आत्म-मंथन*
Dr. Priya Gupta
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
Atul "Krishn"
पीड़ादायक होता है
पीड़ादायक होता है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मेहनत की कमाई
मेहनत की कमाई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
महल था ख़्वाबों का
महल था ख़्वाबों का
Dr fauzia Naseem shad
कहा कहां कब सत्य ने,मैं हूं सही रमेश.
कहा कहां कब सत्य ने,मैं हूं सही रमेश.
RAMESH SHARMA
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी
Ranjeet kumar patre
- गुमनाम महबूबा मेरी गुमनाम है उसका पता -
- गुमनाम महबूबा मेरी गुमनाम है उसका पता -
bharat gehlot
एक  दोस्त  ही  होते हैं
एक दोस्त ही होते हैं
Sonam Puneet Dubey
आलिंगन
आलिंगन
Ruchika Rai
मार मुदई के रे
मार मुदई के रे
जय लगन कुमार हैप्पी
नेता जी को याद आ रहा फिर से टिकट दोबारा- हास्य व्यंग्य रचनाकार अरविंद भारद्वाज
नेता जी को याद आ रहा फिर से टिकट दोबारा- हास्य व्यंग्य रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
सबके लिए मददगार बनें परंतु मददगार बनकर किसी को भी नुकसान न प
सबके लिए मददगार बनें परंतु मददगार बनकर किसी को भी नुकसान न प
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
एक उम्र तक तो हो जानी चाहिए थी नौकरी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
छोड़ने वाले तो एक क्षण में छोड़ जाते हैं।
छोड़ने वाले तो एक क्षण में छोड़ जाते हैं।
लक्ष्मी सिंह
Loading...