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26 May 2020 · 1 min read

—बुरे हालात —

यह कैसा है मंजर,
यह कैसा खौफ्फ़ है,
या कोई साजिश
या कोई हो रहा शिकार है।
दर्दनाक बनता जा रहा हर दिन
क्यूँ हो रहा लाचार है,
कोई तो सुध ले
क्यूँ मर रहा लाचार है।
न जाने कितनी बातों से
हो रहा व्यापार है,
उप्पर वाले जरा नजर घुमा जमीं पर ,
देख तेरा इन्सान हो रहा बेजार है।

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
178 Views
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