— बुरे वक्त के लोग —
वक्त बुरा हो तो
सब आँख दिखाते हैं
पास किसी के जाओ तो
वो बेवजह घबराते हैं !!
कभी कभी आजमा के देखो
हम से ऊँचे बहुत घबराते हैं
कभी खुद भी देख लेना
वो कभी काम नही आते हैं !!
कहीं कुछ मांगने न आ गया हो
ऐसी सोच और मंशा वो बनाते हैं
वक्त बुरा जब हो अपना , तो
सारे रिश्ते नाते टूट जाते हैं !!
बुरे वक्त के निशाँ देख लेना
उम्र भर तक मिट नही पाते हैं
बुरा वक्त जैसे ही बदलता है
सब जैसे अपने ही पास आते हैं !!
लेना देना कुछ नही है
जुबान से सब कडवे बन जाते हैं
छोड़ दो वक्त के हाथों सब कुछ
वक्त ही तो बुरा वक्त सुलझाते हैं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ