बुरी आदत की तरह।
मैं चाह कर भी उसे छोड़ सकता नहीं।
वो मुझमे बसा है बुरी आदत की तरह।।1।।
जी करता है पढ़ता रहूँ तमाम उम्र उसे।
वो तो है कुरआन की आयत की तरह।।2।।
उसे नाराज़ ना करना यूँ गलती से भी।
वर्ना बन जाएगा वह आफत की तरह।।3।।
मशहूर है वो मेहमान नवाजी के लिए।
कहदो हमें भी बुलाये दावत की तरह।।4।।
बदनामी ना लो तुम खुद पर बेवजह।
छोड़ दो उसको वो है लानत की तरह।।5।।
कभी ये दोस्त ही थे मेरे राजे जिगर।
आज दोस्ती भी है अदावत की तरह।।6।।
उसकी जिंदगी है बिल्कुल किताबी।
वो जीता है जग में कहावत की तरह।।7।।
गर आओगे साफ दिल से मेरे पास।
तो मिलोगे मुझसे सखावत की तरह।।8।।
उसपे बीती जानके तुम भी रो दोगे।
मिला है तुमसे जो तवायफ़ की तरह।।9।।
हम उम्र काट लेंगें तुम्हारी चाहत में।
तेरी यादें है हममें अमानत की तरह।।10।।
तमाम उम्र जी है ज़िंदगी सादगी में।
लगता है वो जैसे शराफत की तरह।।11।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ