बुराई
बुरी बातों को कहना, सुनना;
अपने आप में बुरा ही रहना,
बुराईयों का साथ न देना;
बुरी बात पकड़ के काज न करना,
मन मस्तिक में करें तनाव पैदा;
अशांति का जन्मे भाव ऐसा,
उलझन कभी कम न होगा;
बुराई कहोगे गुण होंगे बुरे,
बुराई से नाता झट से तोड़े;
बुरी बात के वाहक न बनना,
आग लगाने से कम नहींं होता;
व्यक्ति घर खाख होने की चिंगारी होता,
फिज़ूल की मेहनत बर्बाद होती;
यश अपयश में धूल खाती,
बुराई का कोई न साथी;
खो जाती है मूल प्रति।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।