बुन्देली दोहा -चीपा (सपने में आवाज नहीं निकलना)
बुन्देली दोहा बिषय- चीपा
#राना परतन खाट पै,हो गवँ मटियामेट।
साहस मौरौ खा गयौ,चीपा को आखेट।।
#राना चीपा में दबै, कर रयँ है बतकाव।
बोल फँसे हैं सब गरे,जैसे हौ गवँ घाव।।
#राना चीपा में दबत,जी सबकौ घबरात।
पूरौ तन रातइ शिथिल,कछु समज नइँ आत।।
चीपा में जब आदमी,दूजन पै चिल्लात।
#राना अटकत बोल हैं,निकर न बाहर पात।।
कुल्ला करकैं सोइयौ,#राना भजकैं राम।
सोतन में आराम रत,चीपा को नइँ काम।।
*** दिनांक -14-12-2024
✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक-‘अनुश्रुति’त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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