बुद्ध पूर्णिमा पर मेरे मन के उदगार
दे रहे है सभी बधाईयां आज,
बुद्ध पूर्णिमा की एक दूजे को।
कोई न चलता उनके मार्ग पर,
आक्षेप लगा रहे एक दूजे को।।
सत्य अहिंसा का मार्ग छोड़कर,
झूठ व हिंसा का मार्ग अपनाते है।
जो चल रहे न खुद सच्चे मार्ग पर,
फिर दूसरो को क्यों वे समझाते है।।
अगर सब चले बुद्ध के मार्ग पर,
ये जीवन तुम्हारा सुधर जायेगा।
करो नेक काम सबके लिए तुम,
यही सब कुछ तेरे साथ जायेगा।।
ज्ञान ध्यान की कोई बात न करता,
सब भ्रष्टाचार में लिप्त हुए हैं।
कैसा होगा भारत का विकास,
जब सब बुरे मार्ग पर चल हुए है।।
कहते है सब बुद्धम शरणम गच्छामि
उनके मार्ग पर चलने की करे न हामी।
कहते कुछ है करते कुछ है हम सब,
कोई नही बन रहा है उनके पथ गामी।।
रस्तोगी के दिल में ये दर्द भरा है,
कैसे किसको वह अब समझाए।
इस रचना के माध्यम से ही वह
बुद्ध के मार्ग पर चलने को बताए।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम