बुद्ध जग में पार लगा दो ।
भटक रहा हूँ तेरे खातिर,
मन में ज्ञान दीप जलाने को,
सरण में तेरे आया हूँ,
बुद्ध जग में पार लगा दो ।….(१)
शांति दूत तुम चीवर धा,
प्रेम की करुणा बरसा दो,
आ गये है तेरे दर्शन को,
बुद्ध जग में पार लगा दो।….(२)
दुःख है जीवन में सबके,
दुःख मुक्ति का मार्ग बता दो,
पाया तेरा धम्म यहाँ,
बुद्ध जग से पार लगा दो।….(३)
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।