Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2016 · 1 min read

बुतों का शहर

कविता
बुतों का शहर

*अनिल शूर आज़ाद

हर तरह
और/हर रंग के
बुतों का/एक विशाल
अजायबघर है/यह शहर

हर
अच्छी एवं बुरी/घटना के
राजदार हैं/यहां बुत

पर..
बुत आखिर
एक बुत ही
होता है

इसलिए/प्रायः
चुप ही/रहते हैं
यहां लोग।

(रचनाकाल : वर्ष 1986)

Language: Hindi
420 Views

You may also like these posts

बढ़ी शय है मुहब्बत
बढ़ी शय है मुहब्बत
shabina. Naaz
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
“कब मानव कवि बन जाता हैं ”
Rituraj shivem verma
☺️दो-टूक☺️
☺️दो-टूक☺️
*प्रणय*
टुकड़ा दर्द का
टुकड़ा दर्द का
Dr. Kishan tandon kranti
दिल आइना
दिल आइना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल की बात दिल से
दिल की बात दिल से
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अग्निपथ
अग्निपथ
Arvina
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
सुंदरता हर चीज में होती है बस देखने वाले की नजर अच्छी होनी च
Neerja Sharma
सेक्स और शिक्षा का संबंध
सेक्स और शिक्षा का संबंध
पूर्वार्थ
समय
समय
Paras Nath Jha
...........!
...........!
शेखर सिंह
पश्चाताप के आंसू
पश्चाताप के आंसू
Sudhir srivastava
बसंत आने पर क्या
बसंत आने पर क्या
Surinder blackpen
गीत के मीत
गीत के मीत
Kanchan verma
आपकी आहुति और देशहित
आपकी आहुति और देशहित
Mahender Singh
कविता
कविता
Rambali Mishra
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
निर्धन की  यह झोपड़ी,
निर्धन की यह झोपड़ी,
sushil sarna
केशव
केशव
Dinesh Kumar Gangwar
क्यों न पहले अपने आप पर लिखूं
क्यों न पहले अपने आप पर लिखूं
Anant Yadav
भविष्य की पुकार
भविष्य की पुकार
Nitin Kulkarni
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
गए थे दिल हल्का करने,
गए थे दिल हल्का करने,
ओसमणी साहू 'ओश'
शिक्षा अर्जित जो करे, करता वही विकास|
शिक्षा अर्जित जो करे, करता वही विकास|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
संतुष्टि
संतुष्टि
Dr. Rajeev Jain
23/67.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/67.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम जाते हो।
तुम जाते हो।
Priya Maithil
मेरा प्यार
मेरा प्यार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
Loading...