बुढापे की लाठी-“बहु”*
?✒️जीवन की पाठशाला ??️
बुढापे की लाठी-“बहु”
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोगों से अक्सर सुनते आये हैं कि बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है।इसलिये लोग अपने जीवन मे एक “बेटा” की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे।
ये बात सच भी है क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है। बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है।
और फिर बहु बन जाती है अपने बूढ़े सास-ससुर की बुढ़ापे की लाठी।
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जी हाँ मेरा तो यही मनाना है वो बहु ही होती है जिसके सहारे बूढ़े सास-ससुर अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करते हैं।
एक बहु को अपने सास-ससुर की पूरी दिनचर्या मालूम होती है।कौन कब और कैसी चाय पीते है, क्या खाना बनाना है, शाम में नाश्ता में क्या देना,रात को हर हालत में 9 बजे से पहले खाना बनाना है।अगर सास-ससुर बीमार पड़ जाए तो पूरे मन या बेमन से बहु ही देखभाल करती है।
अगर एक दिन के लिये बहु बीमार पड़ जाए या फिर कही चले जाएं, तो पूरे घर की धुरी हिल जाती है ।। परंतु यदि बेटा 15 दिवस की यात्रा पर भी चला जाये तो भी बहू के भरोसे घर सुचारू रूप से चलता रहता है ।।
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बिना बहू के सास-ससुर को ऐसा लगता है जैसा उनकी लाठी ही किसी ने छीन ली हो। वे चाय नाश्ता से लेकर खाना के लिये छटपटा जाएंगे।कोई और पूछने वाला उनके पास नही होता ।
क्योंकि बेटे के पास समय नही है,और अगर बेटे को समय मिल जाये भी तो वो कुछ नही कर पायेगा क्योंकि उसे ये मालूम ही नही है कि माँ-बाबूजी को सुबह से रात तक क्या क्या देना है।
क्योंकि बेटे के चंद सवाल है और उसकी ज़िम्मेदारी खत्म…
जैसे माँ-बाबूजी को खाना खाएं,चाय पियें, नाश्ता किये, लेकिन कभी भी ये जानने की कोशिश नही करते कि वे क्या खाते हैं कैसी चाय पीते हैं।ये लगभग सभी घरों की कहानी है।मैंने तो ऐसी बहुएं देखी है जिसने अपनी सास की बीमारी में तन मन से सेवा करती थी,
और ऐसे कई बहु के उदाहरण हैं!
कभी अगर बहु दुनिया से चले जाएं तो बेटा फिर एक बहु ले आता है, क्योंकि वो नही कर पाता अपने माँ-बाप की सेवा,उसे खुद उस बहु नाम की लाठी की ज़रूरत पड़ती है। इसलिये मेरा मानना है कि बहु ही होती हैं बुढ़ापे की असली लाठी ।
आखिर में एक ही बात समझ आई की
अतः अपनी बहू में सिर्फ कमिया मत ढूंढे, उसकी अच्छाइयों की कद्र करे ,*बहु की त्याग और सेवा को भी पहचानिएं*
बेटे से पहले बहु को अपना मानो❗
बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!
?सुप्रभात ?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?