बुढ़ापे की कुछ सच्चाईयां
बुढ़ापे की कुछ सच्चाईयां
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खुश रहोगे अगर तुम,बुढ़ापा आ नही सकता।
बैगर बीबी के तुम्हे,कभी मज़ा आ नही सकता।।
कुंवारा कभी भी,शादी शुदा हो सकता।
शादी शुदा,कभी कुंवारा नही हो सकता।।
कुंवारा कभी भी,इधर उधर झांक है सकता।
बूढ़ा कभी भी,इधर उधर झांक नही सकता।
भले ही कोई जवां दिल,बूढ़े पर उंगली उठा दे।
बूढ़ा बेचारा कभी,कोई इशारा नही कर सकता।।
ताक झांक कर ले,कभी भी कोई इधर उधर।
शादी के बगैर,कभी गुजारा नहीं हो सकता।
बुढ़ापे में किसी का,मै सहारा नहीं हो सकता।
मेरी बीबी को,ये कभी गवांरा नहीं हो सकता।।
सूना है मेरी बीबी,जन्नत की हूर से खूबसूरत है ज्यादा।
इसलिए कभी मै,जन्नत का नज़ारा नही कर सकता।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम