* बुढ़ापा आ गया वरना, कभी स्वर्णिम जवानी थी【मुक्तक】*
* बुढ़ापा आ गया वरना, कभी स्वर्णिम जवानी थी【मुक्तक】*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
बुढ़ापा आ गया वरना, कभी स्वर्णिम जवानी थी
सभी का दौर था हर एक राजा था या रानी थी
किसी से पूछ लो जब वृत्त जीवन का हुआ पूरा
सभी की बंद पलकों में, अधूरी कुछ कहानी थी
—————————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451