867 बुझ तो सबको जाना है
दीया हो या सूरज।
बुझ तो सबको जाना है।
दिये को तो फिर भी मैं जला रखूं कल तक।
सूरज को तो आज की आज ही,
बुझ जाना है।
कोई कितना भी हो ताकतवर।
एक दिन सब का आना है।
कितना संभालेगा खुद को और कब तक।
एक दिन तुझे भी तो,
बुझ जाना है।
यहां का कमाया यही रहेगा।
साथ कुछ नहीं जाना है।
करले इकट्ठा जितना होता है ,
पर कोई फायदा नहीं।
यही रह जाना है।
तेरा मेरा करता रहे तू।
सब कुछ एक दिन मिट जाना है।
ढेर लगा ले नोटों के चाहे बड़े बड़े।
जान निकलेगी जब,
कुछ काम नहीं आना है।