बुझे मेरे नैनो की प्यास
आप सभी मित्रों को भारतीय गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभ कामना हमदर्द दिल्ली से
बात दिल की दिल से दिल में कुछ अपने ये फ़ांस है
स्वतन्त्र हुए थे हम या आज भी हम किसी के दास है
रोती भारत माता आती सपनों में पूछ रही थी हमसे
सच सच बताना सत्ता नाम की दासी किसके पास है
क्यों मेरे अखंड भारत का सपना टूट गया ये बता दो
क्या भूल गए अपनी माँ को बात यही तुमसे ख़ास है
क्या बंजर हो गई मेरी भूमि जो उगते नहीं अब वीर
सुभाष चंदूँ भगत शिवाजी के लिए मन मेरा उदास है
भूल गए आज के बेटे सत्ता नाम की वेश्या पाने को
मेरा यश प्रश्न क्या इसलिए राणा ने खाई थी घास है
यही स्वतंत्रता पाने को बेटी लक्ष्मीबाई ने कुर्बानी दी
की आने वाले वंशज भूला उन्हें करेंगे ,रंगीन रास है
हाँ टिहरी ये भारत माता कल भी जंजीरो में थी बेटे
फ़र्क़ ये कल गोरे थे आज कालो के हास यह रास है
बूढ़ी आँखें मेरी अश्क भी सूख गए मेरे क्या कहूँ मैं
कल भी थी स्वतन्त्र होने की इच्छा आज भी आस है
काश की छत्रपति वीर शिवाजी को फ़िर जन्म दूँ तो
सुभाष चंदू भगत लक्ष्मी से बुझे मेरे नैनो की प्यास है
सुभाष चन्दू भगत लक्ष्मी से बुझे मेरे नैनो की
हमदर्द दिल्ली से