Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2018 · 1 min read

बुजुर्ग ओनर किलिंग

जैसा सुना था, उससे भी बदतर हाल में जीने को मजबूर था वो – पशुओं से भी बदतर। उलझे लम्बे सफेद दाढी व सिर के बाल। बडे-बडे मुडे हुए मैल से भरे काले-पीले नाखून। धंसी हुई स्याह आंखे। पुराना मैला कुर्ता, टूटी-बूढी खाट। नीचे से नंगा ही था, जो देखते ही हाथ बढाकर धूलभरा फटा कम्बल एक हाथ से खींच ढक लिया था। उसकी हालत देखते ही रोने का मन हुआ। पत्नी व एक पुत्र की मौत और लकवे ने उसे लगभग मार ही डाला था। बचा-खुचा जीवन एकमात्र सहारे ने ही नर्क कर डाला। नशेडी, चोर, झगडालू से भी कहीं ज्यादा ऐबदार। बात-बिन-बात पीटते रहना जिसकी दिनचर्या बन गई थी। ना समय पर रोटी, ना दवा। कोई–कोई रात तो भूखे रोते हुए ही गुजर जाती। शुरू-शुरू में पडौसी तरस खाकर दो रोटी खिला देते थे, परन्तु मां-बहन की गन्दी गालियों की बौछारों से सब दूर होते चले गए।
शहर में नया वृद्धाश्रम खुला। स्कूल के एक मास्टर ने गांव के पंचायती-मौजूज आदमियों को इकट्ठा किया। सुनकर सब खुश हुए। परन्तु पुराने सरपंच की बात से सबको मानो सांप सूंघ गया – “ ले तो चलो भाई, पर बाहर के लोग क्या कहेंगे? पूरा गांव एक आदमी को ना संभाल पाया। ” और गांव के सम्मान बाबत उस ‘भूखी आंखों’ वाले को यूहीं मरता हुआ छोड सब एक-एक कर चले गए। (सत्य घटना)।

मा० राजेश लठवाल चिडाना (नैशनल अवार्डी) 9466435185

Language: Hindi
2 Likes · 907 Views

You may also like these posts

वो मेरा था तारा ...
वो मेरा था तारा ...
sushil sarna
कहने का फर्क है
कहने का फर्क है
Poonam Sharma
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
सर्द सा मौसम है धूप फिर से गुनगुनाई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
जीवन से तम को दूर करो
जीवन से तम को दूर करो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
अंधविश्वास
अंधविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तुम मेरा इतिहास पढ़ो
तुम मेरा इतिहास पढ़ो
Arun Prasad
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
बहू बेटी है , बेटी नहीं पराई
बहू बेटी है , बेटी नहीं पराई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
भूतपूर्व (हास्य-व्यंग्य)
भूतपूर्व (हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
गूंगे दे आवाज
गूंगे दे आवाज
RAMESH SHARMA
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
आओ सर्दी की बाहों में खो जाएं
नूरफातिमा खातून नूरी
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
नहीं हम हैं वैसे, जो कि तरसे तुमको
gurudeenverma198
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
अवध किशोर 'अवधू'
लोगो की नजर में हम पागल है
लोगो की नजर में हम पागल है
भरत कुमार सोलंकी
उड़ान
उड़ान
Saraswati Bajpai
कुछ करो तो बुरा,कुछ ना करो तो बुरा
कुछ करो तो बुरा,कुछ ना करो तो बुरा
Ranjeet kumar patre
सब जो भी बोलते हैं, उन्हें बोलने दो,
सब जो भी बोलते हैं, उन्हें बोलने दो,
Shikha Mishra
"कामयाबी"
Dr. Kishan tandon kranti
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
थोड़ी मोहब्बत तो उसे भी रही होगी हमसे
शेखर सिंह
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
मिथिला के अमृत स्वर
मिथिला के अमृत स्वर
श्रीहर्ष आचार्य
चाहता हूं
चाहता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
अगर अपने ही लोग आपको पसंद नही करते है तो समझिए आपने उनसे बहु
अगर अपने ही लोग आपको पसंद नही करते है तो समझिए आपने उनसे बहु
Rj Anand Prajapati
कितना मुश्किल है जिंदगी को समझ पाना
कितना मुश्किल है जिंदगी को समझ पाना
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ये अलग बात है
ये अलग बात है
हिमांशु Kulshrestha
अग्नि परीक्षा!
अग्नि परीक्षा!
Pradeep Shoree
तुम जियो हजारों साल मेरी जान।
तुम जियो हजारों साल मेरी जान।
Rj Anand Prajapati
क्यों  सताता  है  रे  अशांत  मन,
क्यों सताता है रे अशांत मन,
Ajit Kumar "Karn"
Loading...