बुआ
सुलझी सी पहेली है वो
मेरी बचपन की सहेली है वो
बिन मांगे सब कुछ देती
प्यार सारा मुझ पर लुटाती
मेरे राजो की राजदार है वो
सिर की मेरी सरताज है वो
उसकी कहानियों का किरदार हूं मैं
उसके जहान की राजकुमारी हू मैं
मेरी सुबह उसकी शाम हूं मैं
मेरी बुआ वो उसकी भतीजी हू मैं
कोमल स्वामी “दिल की आवाज”
From
Jaipur