बुंदेली मुकरियां
बुंदेली मुकरियाँ:-
1
मोई आकै प्यास बुझाता |
ठंडै पानू से नहलाता |
हात लगत ही वह देता चल –
ऐ री साजन ? नाँ री नल |
2
बने ठने में हौतइ न्यारा।
गुइयाँ मौखौ लगबै प्यारा।
मेरे सिर का है मणि चूड़ा
ऐ री साजन? नाँ री जूड़ा।।
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-राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक “अनुश्रुति” त्रैमासिक बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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