बुंदेली दोहे- बलबूजा
बुंदेली दोहे-
बिषय:-बलबूजा
307
बलबूजा बेहद उठे,
बेइ कुंड के पास
बुरई बसांद आत है,
फिर भी पानी खास।।
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308
बलबूजा दिल में उठे,
फिर नइ कछू सुझाय।
सावन के है आंधरे,
हरोइ हरो दिखाय।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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Email – ranalidhori@gmail.com
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