बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
#बुंदेली दोहा-#गुचू/ #गुचूक (छोटी सी)
#ब्रज की काती गोपियाँ,गुचकू से गोपाल।
काम बड़न कै हैं करत,#राना संग वबाल।।
लोग गुचू-सी बात पै,#राना मन में ठान।
लठिया लै झगड़ा करैं,डटै रात मैदान।।
संत गुचू-सी बात में,कै दैतइ है सार।
समझ जात #राना सबइ,रबै बात में भार।।
गुचू-गुचू-सी बात पै,#राना तकत लराइ।
तनिक चींख लौ गुर जितै,लगा दैत भड़याइ।।
जनम गुचू सौ लवँ हतौ,अब बड्डौ है पूत।
समय निकरतन का लगत,#राना परत न कूत।।
एक हास्य दोहा –
धना कात #राना सुनौ,नँईं गुचू-सी बात।
बैरा बनकै नँइँ सुनत,जब कछु तुमसे कात।।
*** दिनांक- 22-7-2024
✍️ #राजीव_नामदेव”#राना_लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
#rajeev_namdeo_rana_lidhori