बुंदेली दोहे- खांगे (विकलांग)
बुंदेली दोहा- विषय -खाँगे (विकलांग)*
खाँगे हौ गय युद्ध में,#राना सुने कमाल।
दुश्मन छाती चीर कै,सैनिक आये हाल।।
बिना बिचारै निग गयै,गैल देख नँइँ पाइ।
खाँगे हौ गय पाँव सै,#राना तकी न खाइ।।
डरपोका खाँगे बनै,सबरै हँसी उड़ात।
पूँछत लूलै क्यें बनै,#राना सब मुस्कात।।
कर्म न यैसे कीजिए,जौ खाँगे हौ जावँ।
‘राना’रखकै हौसला,काज सफल कर आवँ।।
जौन काम लौ हात में,खाँगे नँइँ बै होयँ।
विनती करियौ राम से,#राना सार निचोयँ।।
एक हास्य दोहा –
धना कात’राना’सुनौ,खाँगे काय दिखात।
चप्पल टूटी हात लय,फिररय आज लुलात।।
🙆♂️🙋😂 दिनांक-8.7.2024
दोहाकार ✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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