बुंदेली दोहा-सुड़ी (इल्ली)
बुंदेली दोहा – सुड़ी (इल्ली)
#राना देखत है सुड़ी,बन्न-बन्न की हौत।
पर सब लगती है बुरइँ,तकत न उनकी कौत।।
एक सुड़ी पर जाय तौ,’राना’ लगे कतार।
छान-छान हैरान रत,फटकत सब नर नार।।
सुड़ी समझ लौ कीट है,अन्न करत वरबाद।
जितै लगै#राना उतइँ,बढ़तइ रत तादाद।
#राना अपने देश में,पड़ी सुड़ी है भौत।
खाकै अपने देश कौ,पाकिस्ता खौं रौत।।
#राना रइयौ चेत कै,है चुनाव अब आज।
सबइँ सुड़ी फटकार दो,उमदा राखौ राज।।
एक हास्य दोहा –
धना कात#राना सुनौ,कैसौ लायै चून।
उतरा रइँ मुलकन सुड़ी,का दै सबखौ भून।।
***दिनांक-4-5-2024
✍️ राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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