बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189 से चयनित श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -189
रविवार, दिनांक – 10/11/2024
विषय -डाँस
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
छाती धन्य किसान की, करबै काम निसंक।
डटौ खेत खरयान में, सहै डाँस कौ डंक।।
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– रामानंद पाठक ‘नंद’, नैगुवां
2
खटकीरा चीला जुआँ , गौंचैं किल्ला डाँस ।
इनको भोजन खून है , चूसै भरकें स्वाँस ।।
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-प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ़
3
डांस करा दव डाँस ने,चुभा-चुभा के डंक।
बैठ कुका रय खाट पै,तन में लाल कलंक।।
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-सुभाष सिंघई, जतारा
4
किच्च पिच्च सारै मचै,नगनग काटै डाँस।
ढोर बैल भैसै सबइ, लत लत खाबै घाँस।।
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– एस आर सरल, टीकमगढ़
5
डाँगन मेओ जात जब,अति मुसकल पर जात।
चींथत हमखाँ डाँस तब, खूनाखच्च दिखात।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा
6
डाॅंस जुआं चीलर मरे,अब न क्यांऊॅं दिखांय।
सेत पोश पी रय रकत इनसें राम बचांय।।
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-भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’,हटा
7
है ढोरन की सार में,भौतउं बेजा डांस।
चिपको चीतथ रत उनै,ऊकी होजा नाश।।
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– एम.एल. त्यागी, खरगापुर
8
सरकारी आवास की, नइयां कौनउ आस।
दद्दा जुर मिल चींथ रइ,लेन,देन की डाँस।।
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-आशा रिछारिया , निवाडी
9
डाँस पनप रय देस में,खून चूँस भय लाल ।
हाड़ मास पुतला बचौं,देस भओ कंगाल ।।
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-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
10
डसत डॉस जब रात में, नैनन नींद न रात।
रैन चैन सैं नहिं कटै,सबरी रात खुजात।।
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प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
11
चौमासिन में खेत में, चींथत हैं जब डाँस।
तब हमखों ऐसौ लगै, जैसें खैंचें माँस।।
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-हरिओम श्रीवास्तव, भोपाल, म.प्र.
12
अगर डांस ने काट लव , तुरत करौ उपचार।
बुरव होत है काट बौ, हो जें रोग हजार।।
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– वीरेन्द्र चंसौरिया ,टीकमगढ़
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संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़