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28 Sep 2024 · 7 min read

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183 के दोहे

[28/09, 12:19 PM] Rajeev Namdeo: बुंदेली दोहा -करय (कडुबे)

करय लगत बे आदमी,साँसी जो कै जात।
लबरा उनखौं देखकै,#राना मौ गुड़यात।।

ककरी हौबे जब किरा,और करय हौ छौर।
खातन जी मचलात है,#राना उगलत कौर।।

अबगुन खौ कातइ करय, सदगुन मीठे कात।
संतन की#राना सुनो,भलौ बुरव समझात।।

बोल करय मत बोलियौ,#राना तज तकरार।
बोली गुरयाई बने ,सई रखत व्यवहार।।

करय करेला हैं पजत,भुरकत हम सब नौन।
सबइ यैड़#राना कड़ै,हो जाबे बौ मौन।।
*** दिनांक 28-9-2024

✍️ राजीव नामदेव’राना लिधौरी’
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
[28/09, 12:31 PM] R. K. Prajapati Jatara: नमन जय बुंदेली साहित्य समूह
विषय-करय(कडुवा)
*****************************

तिल सौ दिखवै छेद इक, ऊपर से है पुष्ट।
भीतर कीड़े भौत हैं,करय भटा सम दुष्ट।।

करय बोल ऐसें लगें, जैसें विष की बेल।
जीके सर चड़ जात है,करै ओइकौ खेल।।

करय बोल सुत बोल रव, ना काहू सें काव।
जाँग उगारौ आपनी, खुद लाजन मर जाव।

करय भले,गुन हों अधिक,सदा रखियो मेल।
दवा बनत हैं मर्ज की, नीम और गुरबेल।।

की की खों काबें करव,सबइ करय के संग।
जीनें छोड़ो हैं इनें, बोइ भवो बदरंग।।

आर. के.प्रजापति “साथी”
जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
[28/09, 2:20 PM] Pradeep Khare Patrakar: करय नीम से बोल तौ,
आवत बोलत बैन।
धरे कुकर्मी जनम सैं,
देखत होबै ठैन।।
2
बोल करय जिन बोलिये,
काऊ नहिं सुहात।
सोच समझ कर कीजिए,
सदां सबइ सैं बात।।
3
करय बुरय सब हों नहीं,
कुछ सुहाबैं मोय।
नीम करेला खाय सैं,
नहिं बीमारी होय।।
4
आत करय सोई दिना,
पुरखन पानी देत।
खुआ पिया करबैं विदा,
पीरा सब हर लेत।।
5-
करय दिनन की का कनैं,
होबैं न्यौते रोज।
मालपुआ, लडुआ, लुचइ,
डटकैं होबैं भोज।
प्रदीप खरे, मंजुल
[28/09, 2:49 PM] Bhagwan Singh Lodhi Hata: बुन्देली दोहे
विषय:-करय
करय गरय लगबै वचन, अगर न मन सें कांय।
ढोरन खों ललकारियो, भग हैं पूॅंछ उठांय।।

करय शब्द की गूद पै,कितन‌उॅं लैप लगाव।
बा कैस‌‌उ मिटबै नहीं,कोटन करौ उपाव।।

करय बोल द्रौपद कहे, दुर्योधन गव चेट।
सकुनी मामा सें करी, ऊनें तुरत‌इ भेट।।

करय बुरय कय होत हो, जीवन के दिन चार।
गैल कटीली पै निगत, खायें फिर रय खार।।

करय दिनन में काग बन, पुरखा आबैं दोर।
हरो भरो परिवार तक,मन में भरत हिलोर।।
‌‌-भगवानसिंह लोधी “अनुरागी”
[28/09, 3:09 PM] Hansa Shrivastava Bhopal: मंच को नमन
विषय ,करय
विधा ,दोहा

करय बोल कांटन लगै
जानत सब जै बात।
तोई बोलत फिरत है ,
करत रहत है घात ।।

मन पै आरी सी चलें ,
करय बोल जों बोल ।
तासे चुप्पी हैं भली ,
चाहे रयें अबोल ।।

मौलिक स्वरचित
हंसा श्रीवास्तव हंसा
[28/09, 4:10 PM] Ramanand Pathak Negua: दोहा बुन्देली
बिषय करय
1
भौतइ पावन दिन करय, क्वाँर मास के खास।
इनमें पुरखा आत हैं, लै पानी की आस।
2
गरब करौ जिन भूल कें, सब सें राखौ हेत।
करय नीम के पात भी, दबा अनौखी देत।
3
करय नीम की कोंप सें, रस खों लेव निकार।
उठत भुन्सरा नित पियौ, मिट है सबइ बिकार।
4
करय बचन ना बोलिऔ, बोलौ मीठे बोल।
तौल तौल बोलें बचन, होत सदा अनमोल।
5
करइ बेल गुरबेल कौ, काडौ लेव बनाय।
कैसउ होबै ताप ज्वर, जर सें देत मिटाय।
6
करय दिना पुरखन बिदा, जातइ अपनें धाम।
सुभ आसीसें दै गये, करौ राज के राम।
रामानन्द पाठक नन्द
[28/09, 4:27 PM] Pramod Mishra Baldevgarh: ,,बुन्देली दोहा ,विषय ,, करय ,,कड़वे
************************************
करय बुरय लगतइ हरय , गरय सरय वतकाव ।
गलत सलत जब तब बकत , पकरत तन तन ताव ।।
*************************************
करय बुरय बोलत बचन , मात पिता सैं लोग ।
होकेँ हरय समाज में , लयँ”प्रमोद”बै रोग ।।
************************************
करय बुरय कुछ आदमी , नित नय रचत प्रपंच ।
लड़ा-भिड़ा सुख में परें , बनें “प्रमोद”विरंच ।।
**********************************
करय दिनन में आउतइ , पुरखा करिवै भोज ।
उनखाँ भोजन जल दियौ , सपर खोर कें रोज ।।
**********************************
करय डगौरा नीम केँ , करइ नीम की छाल ।
रोग दोग ओंगुन हरें , सुख दैवै हर हाल ।।
**********************************
अच्छे दिन आयै नही , करय आय कइ बार ।
आसइ में तिरके झरें , हैं “प्रमोद”के बार ।।
**********************************
करय करैला खायते , करइ तुमरिया ल्याय ।
करव तैल घर में धरौ , करय दिना भी आय ।।
**********************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ मध्य प्रदेश,,
,, स्वरचित मौलिक ,,
[28/09, 4:34 PM] M.l.Ahirwar ‘tyagi’, Khargapur: शनिवार -28.9.2024
दोहा लेखन
प्रदत्त शब्द -करय
1
लगे करय दिन जानकें,पुरखन भरी उडान।
मगरन-मगरन पै लगे, त्यागी रोज दिखान।
2
गुरमे चडबै नीम पै,और करइ हो जात।
उए दबाई मानकें, समझदार सब खात।
3
कजन कोउ सांसी कबै,सुनै,करव लगजात।
कजन मानकें चलैना,जीवन भर कल्लात।
4
करय मताई बाप हैं,नाय माय के मीत।
पलटगई कलकालमें,सबइ पुरानी रीत।
5
करय करेला खायसे,सुगर रोग भगजात।
करकें चलो परेज जा,बैद हकीम बतात।
6
करय दिना आजात सो,पुरखा धरत चपेट।
खा पी कें पंदरा दिना ,लौट जात भर पेट।
स्वरचित मौलिक रचना
🇵🇾एम एल त्यागी खरगापुर 🇵🇾
[28/09, 5:33 PM] Taruna khare Jabalpur: ‘करय’ शब्द पर दोहे

करय करेला को रसा,पियो सकारैं साम।
रोगी हो मधुमेह को, झट्ट मिलै आराम।।

फिरैं उचंगा से बनै,कर रये खूब छिछोल।
मौड़ी मौड़न खों करय,लगत बड़न के बोल।।

करय बचन केकई कहे,देओ राम बनबास।
सुनखैं दशरथ भूप की,टूटन लागी आस।।

करय दिनन में बनत हैं,बरा पुड़ी उर खीर।
पिंडदान तर्पण करैं,जायं नरबदा तीर।।

कबऊं मताई बाप सैं,करय नै बोलौ बोल।
उनको आसिरबाद है, दुनियां मै अनमोल।।

तरुणा खरे जबलपुर
🙏🙏🙏
[28/09, 6:31 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा विषय करें
1-करय बुरय बोलो नहीं,
बोलो मीठे बोल।
सुनबे में नोने लगें,
बृजभूषण अनमोल।
2- करय दिना जैसइ लगें,
कुशा सें पानी देय।
देव ऋषि पुरखा सबई ,
सुमरन मन कर लेय।
3-बाप मतारी रत करय,
हित की करवें बात ।
लड़का बारे आज के,
कैसे उल्टे जात।
4-लगन लगत लरका करय,
अगर उबाड़े होंय।
सुनें नहीं कौतक करें,
जीवन में विष बोय।
5- करय लगत अब नीम से,
मिसरी से रय आय।
बात-बात पे टोंचना,
दे रह हो तुम काय।।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
[28/09, 6:32 PM] Taruna khare Jabalpur: ‘करय’ शब्द पर दोहे

करय करेला को रसा,पियो सकारैं साम।
रोगी हो मधुमेह को, झट्ट मिलै आराम।।

फिरैं उचंगा से बनै,कर रये खूब छिछोल।
मौड़ी मौड़न खों करय,लगत बड़न के बोल।।

करय बचन केकई कहे,देओ राम बनबास।
सुनखैं दशरथ भूप की,लगी टूटने आस।।

करय दिनन में बनत हैं,बरा पुड़ी उर खीर।
पिंडदान तर्पण करैं,जायं नरबदा तीर।।

कभौं मताई बाप सैं,करय नै बोलौ बोल।
उनको आसिरबाद है, दुनियां मै अनमोल।।

तरुणा खरे जबलपुर
🙏🙏🙏
[28/09, 6:32 PM] Shobharam Dagi: शोभारामदाँगी “इन्दु” नंदनवारा
बिषय-करय (कड़वे) बुंदेली
अप्रतियोगी दोहा
(०१)
करय बोल जिन बोलियौ,मन में लगवै ठेस ।
“दाँगी” बोलौ सत बचन,बड़ै आपसी हेस ।।
(०२)
कागुर पितरन खों धरै,टेर-टेर कैं ख्वायँ ।
करय दिनां हैं कर्ण के,पंदरा दिन तक रायँ ।।
(०३)
करय बचन कैकइ कहे,करवा दव वनवास ।
चउदा बरस वन भोगकैं,गय कैकइ के पास ।।
(०४)
करय पत्ता नीम कै,जीमें गुन हैं भौत ।
कैउ रोग की है दवा,”दाँगी” ख्वादो न्यौत ।।
(०५)
करय बचन कर लय हरय,अनय मनय कर हाय ।
तन मन धन अरपन करा,जय जय जय कर माय ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[28/09, 7:29 PM] S R Saral Tikamgarh: बुन्देली दोहे विषय -करय
—————————————–=——-
प्रेमलाल के प्रेम में,फस गइ ढिल्ला बाइ।
घर वारे लग रय करय,सबसे लयें बुराइ ।।

मीठे दिन का होत हैं,करय दिना का होत।
फैलों है पाखण्ड कौ, इस भारत में छोत।।

हमें करय पाखण्ड हैं,हम इनसें गय ऊब।
पाखंडी फल फूल रय,मौज उड़ा रय खूब।।

माला जप रय राम की,हैं औगुन की खान।
दाव परें चूकें नईं, जे छलिया इंसान ।।

कछू करय खरुआ कछू,ई दुनियाँ में लोग।
सरल मेर कैसे मिलें , बे हैं लुअरन जोग।।
—————————————————
एस आर सरल
टीकमगढ़
[28/09, 8:44 PM] Rajeev Namdeo: बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -183
विषय:-करय (कडुवा)
शनिवार, दिनांक – 28/09/2024

प्राप्त प्रविष्ठियां :-

1
ज‌उआ पै प्यारे लगें, गदरे हिरदे भांय।
करय लगत हैं ऊ दिना,जब नीचट पक जांय।।
***
-भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’,हटा
2
झूँठा लबरा या दुता,करय नीम से होंय।
इनके संगै रात जो, बे जीवन भर रौंय।।।
***
– आर के प्रजापति, जतारा
3
करय बचन मघुकर कहे,रानी को न सुहाय।
पत राखन अवधेश जू ,नगर ओरछा आय।।
***
-आशाराम वर्मा “नादान ” पृथ्वीपुर
4
करय दिनन में आय जू,पुरखा बनकेँ काग।
मान गौन भौजन दियौ,बाढ़ें कुल को भाग।।
***
-प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ
5

करय दिन रत कुँआँर में,पुरखन पानी देत ।
खपरन पै कागुर धरैं,पुरखा बुलवा लेत ।।
***
-शोभाराम दाँगी ‘इंदु’, नदनवारा
6
लगे करय दिन जानकें,पुरखन भरी उड़ान।
मगरन-मगरन पै लगे, त्यागी रोज दिखान।।
***
– एम एल त्यागी, खरगापुर
7
करय बोल जो बोल,रय ,उनको मन हे साफ।
कबऊं गुस्सा होत नइ,करत सबखों माफ॥
***
-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे भोपाल
8
करय दिना जे चल रये,पुरखा पूजैं लोग।
पुरखन के आसीस लो,उमदा जो संजोग।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंज बासौदा
9
सुनबे में कित्तउ लगैं, करय बड़न के बोल।
परसत सार निचोर कें, ज्ञान सकल अनमोल।।
***
-विद्या चौहान, फरीदाबाद
10
काए धूरी में करौ, जा जीवन अनमोल।
नौनी-नौनी जीभ पै, करये-करये बोल।।
***
-डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला भिण्ड
11
करय दिना जब सें लगे,पा रय छप्पन भोग।
मीठे मीठे दिनन खों,करय काय कत लोग।।
***
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ
12
करय बोल रत बान से,करैं करेजे घाव।
मिटत नईं औषध लयें,कितनउ करौ उपाव।।
***
-तरुणा खरे जबलपुर
13

जैसइ लगें कनागतें,पितर आँय सब याद।
करय दिनों में होत है,तरपन और सिराद।।
***
– डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलेहरा
14
हरिश्चंद सौ बोलवौ,बोलौ कियै पुसात।
साँची कय सें काउ की,करय बुरय हो जात।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
15
सिया सोंप दो राम खों, लगी करइ जा बात।
रावण ने रिसयाय कें, भैयै मारी लात।।
***
-आशा रिछारिया ,निवाड़ी
16
करय दिनन में खा रहे , सबजी पूड़ी रोज
आज इतै तौ कल उतै , रोजउं हो रय भोज।।
***
– वीरेन्द्र चंसौरिया टीकमगढ़
17
करय दिना मीठे लगें, पा पुरखन कौ साथ।
देत असीसें बे हमें, हम हो जात सनाथ। ।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
18
करइ सोच ना पालियो, करय न बोलो बोल।
मिसरी घोरो प्रीत की, जौ जीवन अनमोल।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई, (दिल्ली)
19
करय बचन है तीर से ,छाती में घुस जात |
कैबैं बारौ आदमी, आँखन खौं खुटकात ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
20
करों न संगत नीछ की,जो करबै बदनाम।
करय नीम से बे लगै, जिनके ओछे काम।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
***
-राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़
(संयोजक- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता)
मोबाइल- 9893520965

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