बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -९०
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -९०
प्रदत्त शब्द -बजरी (रेत)
संयोजक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
आयोजक- जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
भवन गगनचुम्बी बने, नदियाॅं बनगइं खाइ।
बजरी खुदरइ रात में, बढ़गइ पुलिस कमाइ।।
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“राम सेवक “हरिकिंकर ” ललितपुर
2
बजरी-सी है जिंदगी, मुट्ठी में नइँ आय।
रोके सें रुकबे नहीं, खिसक हराँ से जाय।।
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अमर सिंह राय, नौगांव
3
सब कुतका पै बे धरें,सरकारी कानून।
सबरी बजरी बेंच कें,नेता पी गय खून।।
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#जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़#
4
छान छान बजरी भरी, खूब करौ श्रमदान ।
राम लला कौ बन गऔ, मंदिर आलीशान।।
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एस आर सरल,टीकमगढ़
5
पंच तत्व की ईंट में, गारा भजन लगाय।
बजरी पै बाखर बना,बिधि नै दई गहाय।।
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भगवान सिंह लोधी “अनुरागी” हटा दमोह
6
बजरी, पथरा बैंचकें,डाँग करी वीरान।
देख लालची आदमी, कुदरत भी हैरान।।
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-संजय श्रीवास्तव, मवई (दिल्ली)
7
ढोवे तसला माइ जब, बनें इमारत तुंग।
बजरी पै खेलै लला,घरघूलन के संग।।
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-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
8
बजरी गंगा घाट की , मलमल आंग लगांय।
दाद खाज छाजन मिटै ,कोटि पाप कट जांय ।।
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आशाराम वर्मा “नादान” पृथ्वीपुर
9
बजरी भौतउ कीमती,सबके बनैं मकान ।
देखत में साजे लगैं ,नइ नइ बनैं डिजान ।।
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-शोभारामदाँगी नदनवारा
10
बजरी ईंटा जोर कैं, बन रव नओ मकान।
नईं ठिकानों आज को, जोरत हैं सामान।।
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~विद्या चौहान, फरीदाबाद
11
नाम लिखौ ना रेत पै,हाथ कछू ना आय ।
आएगी जब इक लहर, नाम सकल मिट जाय।।
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डा, एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
12
ढूँडें बजरी ना मिलै, भई चील कौ मूत।
महँगाई यैसी बड़ी, सबखों पर गव कूत।।
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अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
13
कला लखी खजराव की, है बैकुंठ समान।
बिन बजरी गारे बिना, पुतरिन पारे प्रान।।
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डॉ. देवदत्त द्विवेदी ,बडा मलेहरा
14
करत दलाली ठग रहे,बजरी बैंचें ठोक।
कोऊ रोकत है नहीं,भलै लगी है रोक।।
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प्रदीप खरे मंजुल टीकमगढ़
15
बजरी कैसो टेम जो,थुबतइ नइ दिखाय।
उम्रर हमाई देख लो, सबरी सरकत जाय ।।
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– श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
16
हीरा सी बजरी सुनो, नेता रहे चुराए ।
रात दिन धंधो करें ,कोठी रहे बनाए
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डा आर बी पटेल “अनजान’, छतरपुर
17
आँग भिड़ाकर गिलहरी , रइ बजरी है डार |
कर रय जित है नील नल , राम सेतु तैयार ||
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-सुभाष सिंघई, जतारा
संयोजक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
आयोजक- जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़