बुंदेली दोहा-नदारौ
बुंदेली दोहा :- नदारौ ( निर्वाह )
सास बहू सँग नंद में, नँईं नदारौ हौय।
मुखिया #राना ऊ घरै,मुड़िया धर कै रौय।।
नंद भुजाई लर परै , कठिन नदारौ हौय।
#राना भी पंच्चात में, आकै परत न कौय।।
छोटी बउँ दय दौंदरा,बड़ी चिमानी रात।
कठिन नदारौ लग रऔ,#राना सबसें कात।।
नद गइँ घर में नंद है, भौत बड़ी है बात।
खूब नदारौ चल रऔ,#राना सब मुस्कात।।
केन्द्र राज्य में जब कभउँ, नँईं नदारौ हौय।
खेंचातानी सी मचै,#राना लरबै दौय।।
एक हास्य दोहा
धना कात #राना सुनो, नँईं नदारौ होय।
चपिया भर भी दूध अब,लगत तनिक सौ मोय।।
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✍️@ राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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