बुंदेली दोहा- अस्नान
बुंदेली दोहे – अस्नान
1
करत सबइ अस्नान है , फिर पूजा खौ जात |
ईसुर के दरसन करत , #राना भोग लगात ||
2
जातइ है जब मरगटा , मुरदा जितै जलात |
करत लौट अस्नान है , फिर घर #राना आत ||
3
गंगा में अस्नान से , सबइ पाप कट जात |
पुन्य मिलत #राना कहत , पौथीं यै बतलात ||
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”
संपादक- “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
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