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19 Jun 2021 · 1 min read

बुंदेली तीन दोहे- “दद्दा”

बुंदेली दोहे-बिषय-“दद्दा”

1

दद्दा बैठे पोर में,
मूंछन पै दे ताव।
लंबी लंबी फैंकते
कर रय है बतकाव।।

***

2

दद्दा तो सुनतइ नई
कै कौनउ भी बात।
अपनी अपनी हांकते,
दे रय सबकौ मात।।
***

3

दद्दा बाई की करो,
सेवा दिन अरु रात।
उनके ही आसीस से
बन जायेगी बात।।
***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.co
(मौलिक एवं स्वरचित)

Language: Hindi
432 Views
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