बुंदेली गीत
बुंदेली गीत
मानत तनकई नईया,जो मेरो पिया…..२
दारू पी रोजई आवे,आनके मोखे धौंस बतावे
करतई कच्छु नईया,जो मेरो पिया……
मानत तनकई नईया, जो मेरो पिया…..
मे तो मंजूरी खो जाऊं,आके रोटी रोज पकाऊं
मेरे मारे पन्हईया,जो कैसे पिया…….
मानत तनकई नईया, जो मेरो पिया…
मोडा मोडी भूखे फिरत है,जे गलियों में रोज गिरत है
तनपे कपड़ा नईया, जो तड़पे जिया…
मानत तनकई नईया, जो मेरो पिया…
कृष्णा तुमखो में सामझाउ,हांथ जोड़ के तुम्हे मनाऊ
कैसी जग मे लुगईया,जो मचले जिया…
✍️कृष्णकांत गुर्जर