बुंदेली कविता-टीका अभियान
बुंदेली कविता-टीका अभियान-
इक दिना हम भी
वैक्सीन को टीका लगवावे गयते।
दो घंटा लो ठाडे रयते।
जैसे तैसे रजिस्ट्रेशन करवाओतौ,
पर्ची में नंबर चढवाऔ तौ,
फिर लगे हम दूसरी लेन में
आधार कंप्यूटर में फीड करवाऔतौ।
अब पौचै तीसरी लेन में,
तिली से उतरारयते
सोशल दूरी कुतका सी दिखा रयती,
उतै भीर गिरमा तोरे जा रयती।
जैसे तैसे चार घंटा में
दूसरौ डोज लगा पाये।
ऐसौ लगतौ कै कौनऊ
हम तीर मार आये।
पै जय हो जाये जा
टीका अभियान की।
जनता हो रइ परेशान,
पररइ आफत जान की।।
दो से निपट लय,
अब तीसरे की तैयारी है।
दोनों डोज लग गये अपने।
अब दिख रय जीवन के सपने।।
सौ भइया सब जनै सोइ लगवा लइयो
अबे सेंतमेंत में लग रऔ
फिर लाखन से नप जैहो।
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-राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़