Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 2 min read

बीहनि कथा-“अंडरवियर”

मैथिली (बीहनि कथा)
” अंडरवियर ”
___________
जीबछ बाबू आ हुनक अर्धांगिनी अंजलि दुनूगोटे नोकरी करबाक कारण एक दोसर सऽ दूर-दूर रहैत छलाह।
– अंजलि किछु दिन पति स’ बिलग रहलाक पश्चात छूट्टी भेलापर पतिदेव जी के पास पहुंचलीह।
– घर घुसला क’ साथे बाजि उठलीह, सकठे नरक बनाकऽ राखने छथिन्ह। घरक कोना-कोना मे मैलक
एतेक मोट परत जमल अछि ।
-जीबछ बाबू के तरफ देखैत ओ कहलनि _
-कि यै..? काजवाली रोजदिन नञ आबइ छल जेऽ अहां घरक ई हाल बनौने छी,…
-ऊपर-नीचा, दायां-बाया चारु तरफ नजरि दौराबाक मध्य अंजलि के नजरि डोरी पर पसरल तरकछ(अंडरवियर) पर पड़ि गेलनि।
– ओ अचानक आगि बबूला भऽ क’ नाक भौं सिकोड़ैत बाजि उठलीह..
– आं यै,… अच्छा इ बताउ तऽ अहां…,
-इ अंडरवियर तऽ मात्र दुइए माह पहिने दोनारि चौक पर खरीदने छलहुँ, उहो डिक्सी नामक नामी-गिरामी कंपनी के छल.. ते एकर इलास्टिक एतेक जल्दी कोना अतीव ढँग स नमरि गेल अछि…?
-अचानक ई अनसोहाँत प्रश्न सुनि कऽ जीबछ बाबू क’ तत्काल किछु नञ फुरैलनि, मुदा किछु क्षण तक भौचक्का रहला क’ बाद अचानक ओ अंजलि कऽ आरोपक पाछाँ छिपल मंशा क’ साफ-साफ भांपि लेलनि।
-ओ तुरंत परिस्थिति क’ भांपैत औत्सुक्य भाव में अंजलि से बाजि उठलाह _
– हे गिरथाइन अहां कोन दुनिआ केऽ वासी छी,
“इ त’ मंडन मिश्र आओर हुनक अर्धांगिनी विदुषी भारती क’ पावन भुमि मिथिलांचल थिक,”
“जतऽ एकटा गृहस्थ जोड़ी द्वारा अप्पन कर्म क’ बल पर विद्वान संन्यासी आदिशंकराचार्य के मीमांसा आओर अद्वैत दर्शन क’ गूढ़ सिखाओल गेल छल।
– एतअ पति-पत्नी कऽ बीच रिश्ता क’ डोर, दिढ़ विश्वास पर टिकल रहैत अइ,ओ अंडरवियर कऽ डोरी के जकाँ लचीला नञ होइत अइ जेऽ कखनहुं फैलत आ सिकुड़ जायत ।
– अहां निफिकिर आओर निश्चिन्त रहू, जा धरि ई धरती पर अहां के पतिदेव जीवित रहताह ता धरि तक ओ एकछाहे अहींक छथि ।
– ई बात सुनितहि अंजलि के मन अप्पन गलती क मानब तैआर भेल आओर अपगरानि मे हुनक दुनू आँखि सऽ नोर झर-झर बहैय लागल।

रचनाकार – मनोज कुमार कर्ण
स्वरचित एवं मौलिक
कटिहार (बिहार)
मोबाइल नंबर – 8757227201
ई मेल – mk65ktr@gmail.com

Language: Maithili
1 Like · 206 Views
Books from मनोज कर्ण
View all

You may also like these posts

रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
ख्वाब यहाँ पलतें है...
ख्वाब यहाँ पलतें है...
Manisha Wandhare
बड़ी मजबूरी है दिल की,
बड़ी मजबूरी है दिल की,
Kanchan Alok Malu
घुटन
घुटन
Preksha mehta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
अनिल कुमार निश्छल
दिल के एहसास
दिल के एहसास
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
शहर में छाले पड़ जाते है जिन्दगी के पाँव में,
Ranjeet kumar patre
अवध में दीप जलायेंगे
अवध में दीप जलायेंगे
Kavita Chouhan
कविता -
कविता - "सर्दी की रातें"
Anand Sharma
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
** जिंदगी  मे नहीं शिकायत है **
** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
और तो क्या ?
और तो क्या ?
gurudeenverma198
तेरा लहज़ा बदल गया इतने ही दिनों में ....
तेरा लहज़ा बदल गया इतने ही दिनों में ....
Keshav kishor Kumar
.
.
NiYa
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
Sonam Puneet Dubey
..
..
*प्रणय*
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता हरेला
Rakshita Bora
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
टूट जाता कमजोर, लड़ता है हिम्मतवाला
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
लवली दर्शन(एक हास्य रचना ) ....
लवली दर्शन(एक हास्य रचना ) ....
sushil sarna
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
ये मत पूछो यारों, मेरी क्या कहानी है,
ये मत पूछो यारों, मेरी क्या कहानी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
2958.*पूर्णिका*
2958.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"गलत"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर मैं तमाचा जड़ दूं किसी के अहम पर तो हंगामा ही तो होगा।।
अगर मैं तमाचा जड़ दूं किसी के अहम पर तो हंगामा ही तो होगा।।
Ashwini sharma
जयचंदों का देश में,फलता नही रिवाज.
जयचंदों का देश में,फलता नही रिवाज.
RAMESH SHARMA
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
पूर्वार्थ
Loading...