बीमार का हाल अच्छा है।
पहले कभी मिलते थे ,
तो चेहरे पर आ जाती थी रौनक ,
अब उनसे मुलाकात को जमाना हो गया ,
अब कैसे कहें की बीमार का हाल अच्छा है।
अब तो न कोई पैगाम न ही खत ,
मोबाइल पर ही पूछ लेते है ” हाल कैसा है ”
हम भी झूठ मूठ कह देते है , हां जी ! हाल ठीक है ।
क्या दूर से ही बात करने से हाल ठीक हो जाता है ?
बीमार न भी हो फिर भी बीमार से दिखते है।
मगर आज कल न तो कोई चेहरा दिखाता हैं,
ना ही हाल पूछता है ।
फिर बीमार के हाल कैसे ठीक होगा ।
बीमार तो फिर बीमार ही रहेगा।
अजी बीमार के हाल पूछने की बात तो
छोड़िए ,अब यह जमाना भी आ गया है ,
की कोई मर जाए घुट घुट के तो भी ,
आपको खबर न होगी।
तो इस से पहले देर हो जाए,
बीमार का हाल पूछ कीजिए ।
किसी बीमार के चेहरे पर रौनक तो आयेगी ।
आपका चेहरा देख कर ।