बीमारी इश्क़ की
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही दवा रही होगी
होगा ना यहां हकीम कोई, जिसके पास अब इस मर्ज की दवा होगी
लफ्जो को बांध कर रखना सीखो,
कह दिया जो तो अब बड़ी खता होगी।
आने पर बारिशों के , झूम उठती हैं
हवाएं कहां सोचती है मोज में बहना उनकी खता होगी..
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही दवा रही होगी.
सोच, समझ, फरेब सब छोड़ कर,
इबादत से इबादत तक का जिक्र हो, ना जाने कहां अब वो दुनिया होगी .
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही रही दवा होगी.
कर नहीं सकता इतनी बड़ी नासमझी ये दिल
कुछ पल ही सही पर दोनों के दिल की धड़कन साथ चली होगी..
कस्तियो से ना पूछो डगमगाने की वजह….
कुछ तो हलचल समुंदर की भी होगी.
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही दवा रही होगी.
कृष्णा को ना मिली राधा , तबसे रीत ये चली होगी,
पर सोचो जरा किस तरह बेहाल मीरा हुई होगी….,
रानी से बेराग्नी बन, लेकर भावनाओ के बोझ तले दबा मन ,
बन के इश्क की जोगन, जो ना मिले कभी ढूंढने उसे चली होगी,
दूंढा हर कण कण में उसे, बाकी रही ना कोई गली होगी।
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही दवा रही होगी.
मीरा, राधा, कृष्णा … ना जाने कहां से चली ये हवा होगी
बीमारी इश्क़ की रही होगी और सुकून ही दवा रही होगी.