बीबी का खौफ (हास्य)
गुजर रहा
हर पल
परीक्षा में
शादी के बाद
मस्त थे
मौज में थे
जब थे अकेले
सोना उठना
घुमना गाना
सब था मनमौजी
टकरा गयी निगाहे
आँखें हुई चार
मचला मन
दिल बेकरार
भोली भाली
नीची आँखे
हिरणी सी चंचल
कर ली शादी
एक बार
अब तो
डर सा बैठा है
दिल में
पूछताछ से
हैं परेशान
देते देते 24 घंटे
स्पष्टीकरण
हैं हम हैरान
गये मिलने किससे ?
गये कहाँ थे ?
गये क्यो थे ?
देते देते जबाब
अब तो
हर क्षण
एक परीक्षा है
गड़बड़ाये कहीं
उत्तर हमारे
मासाब से
तेज पड़े छड़ी
बीबी की हमारे
याद रहता
अब तो
“जिन्दगी एक
परीक्षा है
हर क्षण हर पल
जिन्दगी एक
पहेली है”
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल