बीबी ओ बीबी
सात फेरे लगा कर एक प्रेम का नगमा लाया
नया नवाली आई , पर्दे कर के आई
दिल में अनेकों ख्वाब दोनों के उभरे
सात फेरे का वचन दोनों खूब निभाने की खाई।
दहेज़ का जमाना था खुशी का उपहार लाई
कमी हमने ना रखा था किचन पर अधिकार उनका
मेरी हर पसीना की कमाई उनकी मायाजाल
हंसी खुशी दोनों का एक संसार, आंनद की बौछार
रखती वो मेरे आठ पहर का खयाल,सुट -बुट रखती तैयार
शादी की कुछ एक दिन बाद, एक है नटखट सा पहचान
‘कन्हैया’ करके पुकारते सब।
अब आया कहानी का एक नया शुरूआत
बोला करती वो नहीं भेजे कभी प्रेम संदेश
वह कहती हमसे ‘प्रेम नहीं करता तुम अब
प्रियतम रहते कौन दुनिया में अब’ ।
मैंने भी सोचा , बहुत समय बीत गया
दो प्रेम का लब्ज बोला अनेक दिन हो गया
अब उनकी बात मेरी समझ में आई
समय नहीं दे पाते उसे ,काम का रहता थोड़ी चाप
उसके पास बैठ कर बात करुगा दो प्यारे अल्फाज कहूंगा,
बाहर निकलकर पर बिना कारण मेसेज और फोन करूगा,
छुट्टी मिला तो रेसटोरेंट्स और पार्क का चक्र भी लगाऊंगा,
दो प्यार भरें बोल भी बोलुंगा ,आखिर जो है वह मेरा प्रेम
सात जन्मों का नाता है जीवन भर निभानी है
फिर वो कहेगी ‘प्रिए तुम हमसे प्रेम नहीं करते हो’
वो भी हमको पता है। इसमें छिपा स्नेह उनका
वो भी हमको पता है। बीबी ओ बीबी । ।
गौतम साव