Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2021 · 2 min read

बीते दिन

बीते दिन ________✍️

हम कभी खुश थे आबाद थे
बीत गए जो दिन उनकी जान थे

अपनी हर मनमानियों से आजाद थे
कभी मिट्टी से घरौंदा रच देते थे
कभी माँ- पापा की नजरों से बच कर तितलियों के पीछे भग देते थे
तब कोई प्यासा राहगीर मेरी चौखट आता, तो प्रेम से भरा जग देते थे
देता जाता वो लाख दुवाएं, हम तो बस हंस देते थे ,

यूँ तो बड़ी नहीं बस छोटी सी दुनिया थी
भरी दुपहरी और चूर्ण की पुड़िया थी
रातों में जिसके ख्वाब बुनते वो कोई परी नहीं अपितु मेरी प्यारी कतरक की गुड़िया थी
गर्मियों की चलती लू थी और मेरी पतंग पर सुशोभित तुलिया थी ,

यूं तो कोई खास दौलत मेरे पास नहीं थी
कंचे से भरी बोतल, माचिस से निर्मित कुछ ताश थी
मिट्टी के गुल्लक में एकत्रित किया था कुछ ज़मीर
अपनी दुनिया का सबसे बड़ा था मै अमीर,

पढ़ाई में हम थे जीरो पर शक्ल से हम थे हीरो
पढ़ाई के नाम पर आती थी नींद जैसे कोई भैंस के सामने बजा रहा हो बीन
गुरुजन खींचते थे हमारे कान पर दिल में था उनका बहुत सम्मान
तभी सब बोलते थे हमें क्लास की जान ,

वो कुछ गर्म रातों के जुगनू बसा रखे हैं आंखो में
कोयल की कूक दबा रखी है बातो में, बड़ा आदर था पापा की उन लातो में
बड़ा याद आती है वो इमली जो फंस जाती थी दांतो में
पथ पर निरंतर कैसे चलना है ये अक्सर मैने दादी से सीखा है
जैसे चाँद बचपन की नज़र बिन फिका है,

मिट्टी का घरौंदा मेरा बेशक कच्चा था पर दिल मेरा बड़ा सच्चा था
अब कहां आ गए कौन सी दुनिया में ?
आज हर चीज़ है पर कहां भाती है, समझदारी भरी जिंदगी में बीते दिनों की याद आती है
हम अब के जैसे ना बर्बाद थे
हम कभी खुश थे आबाद थे
बीत गए जो दिन उनकी जान थे ।।

______संदीप गौड़ राजपूत__✍️ स्वरचित___

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उत्थान राष्ट्र का
उत्थान राष्ट्र का
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
तुम्हारी मुस्कराहट
तुम्हारी मुस्कराहट
हिमांशु Kulshrestha
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
बेहिचक बिना नजरे झुकाए वही बात कर सकता है जो निर्दोष है अक्स
Rj Anand Prajapati
स्वागत बा श्री मान
स्वागत बा श्री मान
आकाश महेशपुरी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
*रिश्ता होने से रिश्ता नहीं बनता,*
शेखर सिंह
सबसे कम
सबसे कम
©️ दामिनी नारायण सिंह
**दुल्हन नई नवेली है**
**दुल्हन नई नवेली है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*संतान सप्तमी*
*संतान सप्तमी*
Shashi kala vyas
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
दोस्त, दोस्त तब तक रहता है
Ajit Kumar "Karn"
— कैसा बुजुर्ग —
— कैसा बुजुर्ग —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
छोड़ दिया ज़माने को जिस मय के वास्ते
sushil sarna
शरद काल
शरद काल
Ratan Kirtaniya
"इम्तहान"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं उम्मीद ही नहीं रखता हूँ
मैं उम्मीद ही नहीं रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
4371.*पूर्णिका*
4371.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कभी हक़
कभी हक़
Dr fauzia Naseem shad
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
Umender kumar
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
अहं प्रत्येक क्षण स्वयं की पुष्टि चाहता है, नाम, रूप, स्थान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मृगनयनी
मृगनयनी
Kumud Srivastava
*पहचान* – अहोभाग्य
*पहचान* – अहोभाग्य
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#लंबी_कविता (तवील नज़्म)-
#लंबी_कविता (तवील नज़्म)-
*प्रणय*
ईश्वर से बात
ईश्वर से बात
Rakesh Bahanwal
Be careful who you build with,
Be careful who you build with,
पूर्वार्थ
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
मेरे पास, तेरे हर सवाल का जवाब है
Bhupendra Rawat
"हिचकी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
Phool gufran
Loading...