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25 Jan 2022 · 1 min read

बीते दिन गिन गिन मत बोलो

कुटिल कुचाली के कर्मों से,
घिन आये तो घिन मत बोलो।
बहुत सरल है प्रेम की बोली,
बोली बहुत कठिन मत बोलो।
वर्तमान है अतिथि इसे
भगवान सरीखा आदर दो,
स्वर्णिम यदि भविष्य चाहो तो
बीते दिन गिन गिन मत बोलो।।

संजय नारायण

Language: Hindi
328 Views
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