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30 Jan 2024 · 1 min read

बीते कल की क्या कहें,

बीते कल की क्या कहें,
बीत गया कल बीत ।
व्यर्थ वक्त को कोसना,
दुनिया की है रीत ।।

सुशील सरना / 30-1-24

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