बीती रात हुआ सबेरा
बीती रात हुआ सबेरा,
दूर हर गम।
काली रात के गुनाह समेटे,
भाग गया तम।
लाल रंग उषा का,
प्राची में झलका।
हुई निराशा दूर,
सूर्य आशा का चमका।
मदहोशी हुई दूर,
हुआ अलस कम।
जाग गई मुन्नी,
शौच को भागा मुन्ना।
पड़ा द्वार पर कालू कुत्ता,
हुआ चौकन्ना।
झुनियॉँ की पायल बोली,
छम छम।
मुर्गा बोला मिमिया उठी अजा,
रंभाई गैया।
उड़े आसमान में विहग,
चह चहाई चिरैया।
मस्जिदों में होने लगी अजान,
मंदिरों में बम बम।
जयन्ती प्रसाद शर्मा