बीती यादें
बीती यादें लेकर जाये कहां,?
अपना नहीं कोई और आस्तां।
भूलने वाले इतना तो सोच तू
चाक हो गया किसी का गिरेबां।
बेहतर है भूल जाते हम भी तुम्हें
जीना हमारा भी हो जाता आसां।
बेसबब संभाल रखें है क्यूं हमने
कुछ ख़त,सूखे गुलाब और अरमां।
मिले थे तो,मिल भी गये होते
मिले भी तो बस, कदमों के निशान।
सुरिंदर कौर