बीती बिसरी
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लफ़्ज़ क्या कहेंगे जो अंदाज़ कहता है
किस अदा पे दीवाना हुआ, कहां याद रहता है,
क्या लेना देना झूठ से और सच भी क्या,
शरारत में कहा हर झूठ, प्यार लगता है ।
यादों का पुलिंदा साथ लाना,जी लेंगे कुछ
ज़िन्दगी का हर काम अब व्यापार लगता है ।
न तुम बदले न हम बदले ,इस ज़माने में
क्यों आपका मिलना अब एहसान लगता है ।
डा.राजीव “सागरी”