बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेई
हर पल बदलती दुनिया में अगले पल क्या हो जाने ना कोई,
बीती बातों को याद कर कर जीवन दुखित क्यों होई।
जो बीत गया वह लौट कर ना आएगा,
मानव मन याद कर-कर फिर भरमाएगा।
खुशियांँ जीवन में गर बटोरनी हैं हमको,
बीती बातों को भुलाना होगा आगे बढ़ने को।
समय कभी किसी के भी रोके नहीं रुकता,
फिर पिछली बातों के लिए मानव मन क्यों भटकता।
गर सोचने से ही सब कुछ हासिल हो जाता,
तो काहे को मानव परिश्रम के पीछे भागता।
नव सवेरा, नव जीवन, नव जागरण होगा,
जो बीता उसे बीती रात की तरह भूलना होगा।
सोच को अपनी हमेशा सकारात्मक बना कर रखना,
जो बीत गया उसका दर्द दिल में लगा कर मत रखना।
जो मेहनत करते हैं, जीवन में सफल होते हैं,
जो सोचते रहते हैं बस सोचते ही रह जाते हैं।
श्रम करने वाले उन्नति के शिखर पर पहुंँच जाते हैं,
मन के घोड़े दौड़ाने वाले सपने देखते रह जाते हैं।
सपने देखना भी जरूरी है आगे बढ़ने के लिए,
पिछली कमियों को भुला नव निर्माण के लिए।
नीरजा शर्मा