बीता कल
बीता कल
चेहरे वही, कहाँ कोई चाल बदला है
बदलते कलेंडर कहते साल बदला है
दिसम्बर से जनवरी,पलभर की दूरी है
पुनर्मिलन,हा,कितनी लंबी मजबूरी है
ये तो बिछड़ेंगे पर फिर मिल जाएंगे
जीवन के बीते पल अब कहाँ आएंगे
कितने ही ऐसे आज बीतकर कल हुए
आनेवाले कल का फिर कहाँ संबल हुए
-©नवल किशोर सिंह