मूंहफटपन।
दयानंद प्रसाद प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होयला के बाद अपना डेरा मुरलियाचक में रहे लगनन।हम दूनू गोरे एक ही स्कूल फुलहर में योगदान कैले रही। बाद में दूनू गोरे के दू गो स्कूल में बदली भे गेल। हमहु प्रधानाध्यापक पद से रिटायर हो के बसबरिया में डेरा पर रहे लगली।एक दिन हम दयानंद बाबू के डेरा पर मां जानकी जन्मभूमि मंदिर,पुनौरा धाम दर्शनसे लौटती में भेंट घाट करे गेली।
दयानंद बाबू आइ कालि अस्वस्थ्य छथि।
जब हम डेरा पर पहूंचली आ डोर बेल बजैयली।त वो घरे में से बजला-के छी।
हम बोल ली-घनश्याम महतो।
अंदर से दयानंद बाबू के आवाज आयल-घनश्याम बाबू।
दयानंद बाबू ग्रिल दरवाजा खोलैत बोललन-आउ घनश्याम बाबू।बहुत साल पर मिल ली हैय।कहु की हाल चाल हैय।
आ बीचे में अपना बेटा संजय से बोललन-संजय अपना मम्मी से कहा नाश्ता चाय बनाबे के लेल।
हमर साथी घनश्याम बाबू हमरा से भेंट करे आयल छथि।
अब घनश्याम बाबू बोललन-कहु दयानंद बाबू कि हाल चाल हैय।लैइका सभ कि करैत हैय। संजीव आ संजय कि करैत हैय।वो दूनू के त हम छोटकारी में ही देखले रही।
दयानंद बाबू बोललन-हां। संजीव त पंचायत शिक्षक हैय आ संजय कम्पीटीशन के तैयारी करैत हैय।
घनश्याम बाबू बोललन-सुनले रही कि जौं अहां बाजपट्टी में रही त उंहा के बीइओ घूस लैत पकड़ा गेल रहै।कि भेलै वोइ बीइओ के।
दयानंद बाबू बोललन- हं। जौं राजीव गांधी पंचायती राज के स्कूली शिक्षा दे देलकै त पंचायती राज के चुनाव के बाद शिक्षक सभ के सामूहिक बदली भेलैय।
हमर बदली रीगा से बाजपट्टी ब्लौक में भे गेल।
उहां के बीइओ राम खेलावन राय रहे।दिल के साफ लेकिन मूंहफट रहे। कुछ शिक्षक हुनकर दिल सफाई से खुश रहे त कुछ शिक्षक हुनकर मूंहफटपन से नाखुश रहे।
बाजपट्टी के मुख्यालय स्थित स्कूल सह सीआरसी सह बीआरसी में प्रखंड शिक्षक के नियोजन कार्यालय भी रहे।बीइओ कार्यालय भी रहे।बीइओ अपना काज इहें करैत रहलैन।
एक दिन शिक्षक सभ के संकुल स्तरीय प्रशिक्षण होयत रहे। अचानक बीइओ साहेब के आवाज सुनाई पड़ल-बचाबा हो।बचाबा हो।
सभ शिक्षक प्रशिक्षण छोड़ के कमरा से निकल गेल। हम देखै छी कि चार गो आदमी हाथ में पिस्तौल लहरैवैत बीइओ साहेब के बाहि पकड़लै घिसियबैत रोड पर ले जाइत।
कुछ टीचर बीइओ साहेब के छोड़ाबे लेल बढल कि बीइओ साहेब के गूंडा सभ अपहरण के ले लेते जा रहल हैय।
तभीये पिस्तौल वाला कहलक-हम सभ निगरानी विभाग से हैय।बीइओ के घूस लेते पकड़े हैय। अंहा सभ नै आउ।न त अहू सभ सरकारी काज के बाधा देवे में फंस जायब।हमर इ देखूं परिचय पत्र ।
परंच शिक्षक सभ के विश्वास न भेल। शिक्षक सभ कहलक-जौ तक स्थानीय पुलिस न पहूचत,बीइओ साहेब के न लेय जाय देब।
कनिके देर के बाद स्थानीय पुलिस आ गेल। अब सभ के विश्वास भे गेल कि बीइओ साहेब के निगरानी पकड़ के ले गेल। परंच इ पता न लागल कि कैला बीइओ साहेब पकड़ायल।
निगरानी पुलिस सीआरसी पर से एगो शिक्षक के अपना गाड़ी में बिठा के सीतामढ़ी थाना में ले गेल।
सांझ में फेर एगो गाड़ी से पुलिस आयल कि एगो शिक्षक और चाही।सीजर लिस्ट पर दस्तखत के वास्ते। एगो शिक्षक के पहिले ही ले गेल छी।
परंच शिक्षक सभ के पुलिस से डर लागे।कोई जाय लेल तैयार न।तब पुलिस मनाबे लागल। अंहा सभ के डरे के जरूरत नै हैय।खाली सीजर लिस्ट पर दस्तखत करै के हैय।
बाद में सभ शिक्षक कहे लागल-दयानंद बाबू।अंही के सीतामढ़ी जाय के हैय।अंही चल जाउ पुलिस के साथे आ सीजर लिस्ट पर दस्तखत करि देबै।
हम निगरानी पुलिस के गाड़ी में सीतामढ़ी थाना में चल गेली।उंहा पुलिस कागजी काम करैत रहे।बीइओ साहेब के पुलिस हाजत में बंद देख ली। एकदम गमगीन।मुरझायल चेहरा।
इक दू घंटा के बाद पुलिस बोलैलक- शिक्षक दयानंद आइए। पांच छह पन्ने पर लिखा हुआ स्टेटमेंट। पढ़ने के लिए आतुर हुआ कि पुलिस कहलक-दस्तखत करा की..
हम डर से दस्तखत कर देली। रुपया नोट पर भी दस्तखत कर देली। पुलिस कह लक कि अइ बोतल पर दस्तखत कर दा।अइ में बीइओ साहेब के हाथ के लाल धोबन पानी हैय।इ रूपए में लागल केमिकल से हिनकर हाथ में केमिकल लागल रहे जे पानी से धोयला पर लाल हो गेल हैय।हम बोतल पर दस्तखत कर देली। हमरा देखा देखी पहिले आयल शिक्षक अजय कुमार भी दस्तखत कर देलन।
पुलिस कहलक-आबि अंहा सभ जाऊं।
अब हम अजय बाबू से पुछली-कि अंहा के सामने में बीइओ साहेब के हाथ धोलाइ गेल रहे ।हमरा त बाद में पुलिस लायल रहे।
अजय बाबू कहलन- न। हमरा त ओनी बाहरे बिठा देले रहल हैय।हम त किछू न देखि लियै हैय।
लगभग एगारह बरस के बाद पटना सिविल कोर्ट से चिट्ठी मिलल कि अमूक तारीख के जज साहब के इंहा गवाही हैय।हम अजय बाबू बस से पटना गेली।
पहिले सरकारी वकील से मिल ली। सरकारी वकील कहलक-घटना सभ याद हैय न।हं। बढ़िया से याद करे लेल पांच छह पन्ना मे लिखल कागज पढे ला देलन।
हम दूनू गोरे कागज के पढ ली।कागज में लिखल रहे कि पकड़ते समय देखली कि रूपया ले रहल हैय। और पकड़ाए वाला स्थान पर हाथ धुलबैत देख ली आ
सारा कागजी काम भेल।
हम दूनू गोरे वकील साहब के कहली कि इ सभ काज हम सभ न देखली हैय।हम दूनू गोरे सीतामढ़ी थाना पर डर से केवल दस्तखत कैले छी। दस्तखत हमर सभ के हैय। वकील साहब कहलन- जौं आप दूनू गोरे दस्तखत किये हैय तो तो लिखल सभ बात स्वीकराना पड़ेगा।हम दूनू गोरे पेशोपेश में पड़ गेली।
परंच हम दूनू गोरे सोच ली कि चाहे जो जाय।हम सभ सचे कहब।जब हम देखबे न कैली।त केना कहबै कि हम देख ली हैय।
वकील साहब कहलन-अंहा दूनू गोरे कोर्ट में चलूं।
हम अंहा दूनू गोरे गोरे के बुला लेब।
हम दूनू गोरे कोर्ट कम्पाउन्ड में बैठ गेली आ वकील साहब के फोन के इंतजार करे लगली। कोर्ट के समय खतम होय लागल।त हम दूनू गोरे जज साहेब के इजलास में गेली। वकील साहब उंहा रहे। वकील साहब कहलन-आप दूंनू गोरे कंहा थे। अब समय समाप्त भे गेल हैय।अब दोसर तारीख पर आबै के होयत।
हम दूनू गोरे कहली कि हमरा सभ के हाजरी त ले लू।न त हम दूनू गोरे एबसेंट हो जायब। वकील साहब आ पेशकार बोललक-न न।अब हाजरी न होयत।हम सभ जज साहब के कहली।वो सभ देखैत सुनैत रहैति।
जज साहब पेशकार के हाजरी ले लेवें के कहलन।पेशकार हाजरी लेके दोसर तारीख दे देलक।
हम दूनू गोरे के नजर बीइओ साहेब पड़ल। गमगीन,मुरझायल चेहरा,फाटल जुत्ता आ फाटल सर्ट पहिनले।
याद आ गेल उ हंसैत चेहरा, दमदार आवाज,कलफदार पैंट सर्ट आ वुडलैंड के जूता पहने गौरव पूर्ण डिलडौल।
अगिला तारीख पर अजय बाबू संगे पटना गेली। सरकारी वकील से भेंट कैली। वकील साहब कहलन-सभ बात याद है न।जो कागज में हैय, वही बात जज साहब के नजदीक बोलिया।
हम दूनू गोरे कहली-जी।
समय पर बुलाहट भेल।
हम गवाह के बनायल कठधेरा में गेली।
पहिले जज साहब पूछलन-
अंहा रूपया लेइत देखली-जी न।हम पुलिस के बीइओ साहेब के पकड़ के घिसियबत रोड पर ले जाइत देखली।
जज साहब पूछलन-नोट पर अंहा के ही दस्तखत हैय।
हम कहली-जी। पुलिस के कहला पर सीतामढ़ी थाना पर डर से दस्तखत कै देलियै।
जज साहेब कहलन-अंही के सामने मे हाथ धुलायल गेल।
हम कहली-जी न। हम सीतामढ़ी थाना में लाल रंग के बोतल पर पुलिस के कहला पर डर से दस्तखत कै देलीयै।
जज साहब पुछलन-अइ सीजर लिस्ट पर अंही के दस्तखत हैय।
हम कहली-जी। पुलिस के कहला पर डर से हम दस्तखत कर देलिय।
बीच में सरकारी वकील टोकलन कि दस्तखत कैली हैय आ बात से मुकरैय छि।
हम कबीर साहब के उद्धृत करैत कहली-तू कहता कागद के लेखी।मै कहता अंखियन के देखी।
जज साहेब मुस्कुरैलन।
आ शिक्षक अजय के बुलैलन।
अजय बाबू गवाही वाले कठघरे में गेलन वो भी हमरे जेका सभ बात के दुहरा देलन।
वकील बोललन-केश होसटाइल हो गेल।
हम दूनू गोरे बयान वाला कागज पर दस्तखत क के कोर्ट से निकल गेली।
फेर से हमरा दूनू गोरे के नजर बीइओ साहेब पर पड़ल। गमगीन आ उदास चेहरे पर थोड़ी खुशी की एक लहर।
हम दूनू गोरे सोचे लगली।समय समय की बात हैय।
बात अब तक खुल गेल कि बीइओ साहेब के मूंहफटपन से कुछ नाराज लोग फंसा देले रहै।कहल गेल हैय-न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम अर्थात् जे सच बात अच्छा न लगे, न बोले बोले के चाही।
दयानंद बाबू कहलन- बहुत बाद में मालूम भेल कि बीइओ साहेब केश जीत गेलन। परंच केश जितीयो के जीवन में हार गेलन। मुंहफटपन बीइओ साहेब के जीवन बर्बाद कै देलक।आबि बीइओ साहेब अइ दुनिया में नै रहलन।
नास्ता चाय के बाद हम अपना डेरा बसबरिया चल अइली।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।