बिहाव के दिन
बिहाव के दिन
देख देख के मन ल मोहथे,
सुघ्घर टुरा मन ल जोहथे।
देख के टुरी मन के मन भागे,
सिरतोन बिहाव के दिन आगे।
सलवार सूट नावा नावा बिसावथे,
आनी बानी लिबिस्टिक लगावथे।
देख के टुरी मन के मन भागे,
सिरतोन बिहाव के दिन आगे।
ओड़िया बाजा नंदावथे,
डीजे बाजा ल बजवावथे।
देख के टुरी मन के मन भागे,
सिरतोन बिहाव के दिन आगे।
बरतिया मन ल नता बनावथे,
फोन नंबर लेके अड़बड़ गोठियावथे।
देख के टुरी मन के मन भागे,
सिरतोन बिहाव के दिन आगे।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822