बिहार की सियासी उठापटक: बढ़ता जन असंतोष और प्रदर्शन, क्या बदलेंगे हालात?
जब-जब मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं, तब-तब बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं।
ये खबरें ऐसे ही नहीं चलाई जाती कहीं ना कहीं मीडिया के माईक की तार सरकार के ट्रांसफार्मर से जुड़ी होती है और उसी ट्रांसफार्मर से ख़बरों की सप्लाई की जाती है
अब खबर है कि राहुल गांधी भी कल पटना जा रहे हैं, वही RJD ने खुले तौर पर उन्हें समर्थन देने की हाथ को आगे बढ़ा दी है। बिहार की मौजूदा स्थिति पर नज़र डालें तो हालात बेहद खराब हैं। BPSC छात्रों का हफ्तों से चल रहा धरना-प्रदर्शन जारी है। इस दौरान कई छात्र बीमार पड़ गए, और एक छात्र ने तो आत्महत्या भी कर ली। चुनाव भी सिर पर हैं कहीं ना कहीं इस दाग को साफ़ करने की कोशिश कर सकते है
बता दें इस तरह की बात तब आने लगी जब आजतक के ‘एजेंडा मंच’ पर अमित शाह ने बिहार में NDA की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से तथाकथित इनकार कर दिया। इसके बाद उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी कुछ ऐसा बयान दिया, जिसने अटकलों को और हवा दी। दूसरी तरफ, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर ‘पलटी’ मार सकते हैं।
खैर मान लेते है की पलटी मार नीतीश कुमार फिर पलट जाएँगे। इस तरक के पलटा-पलटी खेल को देखते हुए कई सवाल खड़े होते है! क्या होगा बिहार का ?
क्या सिर्फ़ पलटी बिहार के NDA सरकार में मारेंगे या हिंदुस्तान के NDA सरकार में भी मारेंगे। यानी क्या सरकार दोनों जगह बदले गी ?
इस तरह के पलटी मारने से बिहार को क्या मिलेगा ?
क्या बिहार की वर्तामान स्तिथि बदलेगी ?
क्यों नीतीश कुमार एक बार फिर जनता का भरोसा तोड़ेंगे?
क्या दल बदल कानून की तरह पलटा पलटी से को रोकने के लिए कानून की ज़रूरत है?
बिहार की जनता के लिए यह दौर असमंजस भरा है। एक तरफ राज्य के छात्र और युवा सड़कों पर हैं, दूसरी तरफ सियासत की बिसात (Chessboard) बिछाई जा रही है। क्या ये सियासी खेल बिहार के हालात सुधार पाएगा या फिर आम लोगों की परेशानियां राजनीतिक दांव-पेंच में दबकर रह जाएंगी?
ये सवाल बिहार के हर नागरिक के मन में हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले दिनों में कौन सा कदम इस राजनीतिक गहमागहमी को एक नई दिशा देगा।
शकिल आलम:- छात्र- पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, MANUU