बिस्तर से आशिकी
हे ! बिस्तर के आशिक ,
आशिकी मत कर इससे,
ले डूबेगी एक दिन तुझको,
आलस्य के साथ में,
समय की घड़ी निकल जाएगी,
तेरे हाथ से,
कैसा ये इश्क है,
इच्छा से नहीं तृप्त है,
पछ्तावा जब मिलता है,
आता नहीं आशिकी रास तब,
महफ़िल सजी है ढेर,
यूँ आशिकी में मत भूल,
पड़ेगा महँगा यूँ सोना,
उत्तर जाएगा आशिकी का बुखार,
इश्क लड़ा पल दो पल को,
आदत न डाल यूँ बिस्तर का,
रेत की तरह फिसल जाए तेरी दुनिया,
बिस्तर का अति आनंद नहीं अच्छा,
दुश्मन भी होते आशिकी में,
खटमल-सा चूसते खून वे।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।