बिस्तर की सिलवटों में
इस झूँठी ज़िन्दगी को, कितना भी हम तराशें,
बिस्तर की सिलवटों में, हैं दिल की सब ख़राशें।
जीवन मरण है निश्चित, तू कर्म कुशल कर ले,
दुनियाँ दिखाए कुछ भी, कैसी भी करे बातें।
इस झूँठी ज़िन्दगी को, कितना भी हम तराशें,
बिस्तर की सिलवटों में, हैं दिल की सब ख़राशें।
जीवन मरण है निश्चित, तू कर्म कुशल कर ले,
दुनियाँ दिखाए कुछ भी, कैसी भी करे बातें।