बिल्ली रानी
बिल्ली रानी(बाल गीत)
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दबे पाँव से आकर घर में,
चुपचाप से सो जाती हो।
कोई ना दिखे तो तुम,
झट दूध पी जाती हो।
पास आ कर के बिल्ली,
तन से बहुत रगड़ती हो।
रोटी देख-देख तुम,
खूब जी भर ललचती हो।
परी संग खेलती बिल्ली,
घर में ही तो रहती हो।
पुस-पुस कहने पर,
झट तुम आ जाती हो।
बिजली जैसेआँखे तेरी,
पूँछ बहुत हिलाती हो।
जब तुम्हें रोटी मिले तो,
बड़े मजे से खाती हो।।
बड़ी सयानी तू है बहुत,
म्याऊँ म्याऊँ करती हो।
घर की रक्षा तुम करती,
बिल्ली रानी कहलाती हो।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822